कुछ रास्ते,
इस ज़िंदगी से अलगराह अनोखी चलता हूँ में
हर रोज़
सुहाने ख्वाब बुनता हूँ में
पहाड़ों, वादियों
नदियों की गहराइयों को
अपने कदमों से चूमता हूँ में
हर रोज़
सुहाने ख्वाब बुनता हूँ में
नीले आस्मा की चादर
दूर फेले खेत खलियान
हज़ारों चमकते तारों में
नर्म चाँदनी ढूंढता हूँ में
हर रोज़
सुहाने ख्वाब बुनता हूँ में
समंदर से बातें करता
किनारों से दोस्ती
डूबते सूरज की परछाईयों में
एक दबी सी मुस्कान ढूंढता हूँ में
हर रोज़
सुहाने ख्वाब बुनता हूँ में
अजनबी चेहरों के पहलू
मॅन के माँझे में पिरोता हुआ
सबसे दिल लगा कर रहता हूँ में
अंदाज़ सबके अलग अलग
पर मुस्कान एक ही देखता हूँ में
हर रोज़,
सुहाने ख्वाब बुनता हूँ में