Wednesday, November 27, 2013

Aarna

लाल रंग का सावन कुछ ऐसा था

तेरे माथे की बिंदिया जैसा था

काली रात की खामोशी भी एक सहर लाई थी

तेरी आँखों का जैसे घूँघट ओढ़ आई थी

सुबह की लाली तेरे चेहरे पर ऐसी दम्कि

तेरे आँचल से आज फिर खुशियाँ झलकी

तेरे पास होने का है ऐसा एहसास

मानो हज़ार सखियाँ हो मेरे पास

तेरी गोद में, आज फिर सर रख कर सो गयी

चुपके से आज माँ में फिर बड़ी हो गयी

Tuesday, November 26, 2013

Untitled

फरियाद थी जिनकी ज़हन में
आँखें मूँद कर उन्हे हारे हें
जीने का मक़सद यूँ ही नही बदलता यारों 
हम महज़ एक छोटी सी हक़ीक़त के मारे हें