एक कहानी
यही चली आती
देर रात, करवटो में
और खिलखिलाती
मेरे सपनो के पन्ने पलट
बिना किसी आहट
ज़िंदा कर देती
उन मुरझाये ख्यालों को
जिनकी रफ़्तार पकड़
मैंने चलना सीखा था
यही चली आती
देर रात, करवटो में
और खिलखिलाती
मेरे सपनो के पन्ने पलट
बिना किसी आहट
ज़िंदा कर देती
उन मुरझाये ख्यालों को
जिनकी रफ़्तार पकड़
मैंने चलना सीखा था
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