साँझ को भी थोड़ा
आराम करने दो
ढलते सूरज का बोझ उठाया है जिसने
पेड़ की शीतल छाँव में
एक नींद झपकने दो
साँझ को भी थोड़ा
आराम करने दो
रात, सुबह से फिर मिल सकेगी
स्वप्न की चादर हटा
नयी शुरुआत कर सकेगी
साँझ लेकिन, दिन-रात का बिछड़ना है
अंततः इसे अकेले ही लौटना है
घर के बंद दरवाज़े खोल
इसे आवास करने दो
साँझ को भी थोड़ा
आराम करने दो
सुबह है सूरज की लालिमा
और रात को चाँद की शीतलता
साँझ का न अपना रूप
न कोई रंग
इसे अपनी एक पहचान बनाने दो
ढलते सूरज का बोझ
उठाया है जिसने
साँझ को भी थोड़ा
आराम करने दो
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