Monday, April 29, 2013

Confession

एक झूट में अकसर कहता रहूँगा

दर्द-इ-एहसास को सहता रहूँगा

सच की तलाश करते कभी

फुरसत से आईने में झांकना

तेरी आँखों की परछाई में

तुझे ही धुड़ता मिलूँगा

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