Friday, August 30, 2013

Woh Raat

वो रात
भी क्या रात थी
जब धुंडने निकले
आँखे मूँद कर
चुपकर
जिसका ठिकाना न था
बस एक ख्याल था
ज़ेहन में
कोई पैमाना न था
यूँ तोह
नाज़ुक सा बोझ था
सच पूछो
कच्चा हमका होश था
धड़कने जवाब देने लगीं
एक हलचल सी होने लगी
हिमात करके भी
चुप रह न सके
कहना था जो
कह ही गए
लेकिन वो रात
अधुरा एहसास थी
जैसे, सामने आ जाये वो
जिसकी तलाश थी
और कह न सके
दिल में दबी जो बात थी  

Wednesday, August 21, 2013

Ishq

बदलती नहीं तकदीर, लकीरें मिट जाने से
ईमान नहीं बदलता, सूरत बदल जाने से
धड़कने नहीं रूकती, यूँ साँसे थम जाने से
ये इश्क नहीं मरता, इंसान गुज़र जाने से 

Friday, August 2, 2013

Manzil


दूर किनारों में मंज़िल मेरी

रोशन तकदीर से भी क्या वास्ता

रास्ता गर होता उस मुकाम का एक भी

चलना तो में गिर कर भी सीख लेता