Tuesday, December 25, 2012

Aahat

आहट न होती उन आँखों से,
तो डूबा ही रहता, अनजान ख्यालों के समंदर में . . .
उलझा तो वैसे आज भी हूँ,
बस, एक छोटी सी मुलाक़ात में,
उनकी आंखो से लफ्ज़ झलके,
और मेरे ख्यालों को एक पहचान मिल गयी . . .