Wednesday, August 17, 2022

Sanjh

 साँझ को भी थोड़ा 

आराम करने दो

ढलते सूरज का बोझ उठाया है जिसने  

पेड़ की शीतल छाँव में 

एक नींद झपकने दो 

साँझ को भी थोड़ा 

आराम करने दो 


रात, सुबह से फिर मिल सकेगी 

स्वप्न की चादर हटा 

नयी शुरुआत कर सकेगी 

साँझ लेकिन, दिन-रात का बिछड़ना है 

अंततः इसे अकेले ही लौटना है 

घर के बंद दरवाज़े खोल

इसे आवास करने दो

साँझ को भी थोड़ा 

आराम करने दो 


सुबह है सूरज की लालिमा 

और रात को चाँद की शीतलता 

साँझ का न अपना रूप 

न कोई रंग

इसे अपनी एक पहचान बनाने दो 

ढलते सूरज का बोझ 

उठाया है जिसने  

साँझ को भी थोड़ा 

आराम करने दो