Friday, October 10, 2014

Papa


कुछ पंख मुरझा जाते हैं

कुछ नाज़ुक हो जाते हैं

वक़्त का सितम

इतना आसान नहीं होता

धन की बुनियाद पर बनते हैं रिश्ते

पर साथ देता हैं मेरा

आज भी वो दोस्त

जैसे पुराना कोई क़र्ज़ चुका रहा हो

जो बिना अपनी जेब टटोले

सीना थामे

उड़ने देता हैं

आशा की एक किरण

और मेरे कई हज़ार सपने

और छू लेता हैं

दिल का हर एक हिस्सा

जो खिलखिला उठता हूँ

में ये सोच कर

की फ़िक्र न कर

एक फरिश्ता है तेरा हाँथ थामे

Sunday, October 5, 2014