Saturday, April 18, 2020

kal ka khayal

घर की ऊंची दीवार पर
कीमती तस्वीर जो लगाई थी ।
ज़िन्दगी जीने के मायने
कुछ नई तरकीबें बनाई थी ।


आज सूनी पड़ी चारपाई पर
एक सुकून की नींद जो आयी थी ।
आंगन की अंधेरी रातों में
तारों ने होली मनाई थी ।

दोस्तों के इरादों पर
एक क्रिकेट की टीम जो बनाई थी ।
हर हार के जस्न पर
गरमा गरम जलेबी खाई थी ।

जग्गू चाचा थे
जो अपनी साइकिल दे दिया करते थे ।
पापा भी कभी कभी
पॉकेट मनी डबल कर दिया करते थे ।

मम्मी ने एक दिन मुझे बताया
उनका भी एक सपना था ।
रसोई से बाहर निकल
उनको भी डॉक्टर बनना था ।

एक कमिना यार भी था
जो मेरे नाम की माला जप्ता था ।
किताबों के खाली पन्नों में
एक चित्र बनाया करता था ।

इन्हीं कुछ लम्हों की
आज याद सी कुछ आई थी
घर की ऊंची दीवार पर
कीमती तस्वीर जो लगाई थी ।

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