बतलाती नही तू खामोश रहती
पर पुकार लेता मुझे ये मॅन तेरा
पहचानता नही, ना ही समझ पता
क्या करे मजबूर ये दिल मेरा
महसूस करता तेरी आँखों को
मुस्कान में दबी उस मायूसी को
हंस देती तू बातें बना कर
मुस्कुरा देता में भी
यूही अपनी नज़रें छुपा कर
आज बादलों में छुपी तक़दीर तेरी
दिखता तुझे बस अंधियारा है
पर जान ले ये भी तू
ज़िंदगी सिर्फ़ तक़दीर का खेल नही
ये तो वक़्त का पिटारा है
आज जैसे रात है काली
तो कल मौसम सुहाना है
है एक अंजान सफ़र ये
जिसपर हमें बस चलते जाना है
और,
दुनिया सिर्फ़ ज़ख़्मों का बंधन नही
ये तो एहसासों का एक तहखाना है
जी ले इसे जी भर के
मायूस होकर भी तुझे क्या पाना है
वादा कर खुदसे, मुझसे
और बढ़ा आगे एक कदम तेरा
हूँ आज साथ में तेरे
थाम ले तू हाथ मेरा
भूल जा बीते कल को
एक पल के लिए ही सही
और महसूस कर
मेरी हथेलियाअपने हंतों से
जो कह रही बातें अनकही
सोच कर को देख एक दफ़ा
आने वाला कल आज का दर्पण होगा
खुशियाँ भी होंगी हज़ारों
और दिल तेरा खोव्हिसों से रंगीन होगा
1 comment:
I like it. very nice :-)
Post a Comment