Elements!
Memories and poetries . . .
Friday, September 7, 2012
Paigaam
एक गूँज सी आती है हवाओं में,
हर सांस को जैसे छु लेती है,
बात ऐसी ही दबी है निगाहों में,
करवटों में आकर जो सब बोल देती है,
पैगाम है, आईने में जिसे आजमाया करते हैं,
एक मुलाक़ात है, जो इस दर्द-ए-इज़हार को रोक लेती है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment