Elements!
Memories and poetries . . .
Tuesday, December 25, 2012
Aahat
आहट न होती उन आँखों से,
तो डूबा ही रहता, अनजान ख्यालों के समंदर में . . .
उलझा
तो वैसे आज भी
हूँ
,
बस, एक छोटी सी मुलाक़ात में,
उनकी आंखो से लफ्ज़ झलके,
और मेरे ख्यालों को एक पहचान मिल गयी . . .
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment