Elements!
Memories and poetries . . .
Tuesday, March 5, 2013
Untitled
एहसास क्या है यूँ मिलने का
ये न पूछों यारों
दिल करता है
ये शाम गुज़र न जाये
मरासिम के हर शीशों में
बस मेरे यार नज़र आयें
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