Elements!
Memories and poetries . . .
Tuesday, January 14, 2014
Khamoshiyan
ये खामोशियाँ
इतना सब क्यूँ कह जाती है
आवाज़ जैसे देता है कोई
मुड़कर देखु
तो तेरी याद चली आती है
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