एक जज्बात
अधूरा सा,
छू ना सकना
तेरे होठों को,
तरसते रहना
हल्के हल्के,
निगाहों से
पीते रहना,
उन आँखों से
टपकती
अदृश्य स्याही,
जो दिल के
कोरे पन्नो पर,
छोड़ गयी
पहेली,
जिसे
बुझाने की
चाह में,
बेचेन रहना,
और
खुद में ही
डूब जाना
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