आँखों में बसा खाव्ब था जो
ज़ुबान पे ठहरा लफ्ज़ था जो
दिल में छुपा प्यार था जो
मेरी आरज़ू का बयान था जो
आज मेरे करीब,
मेरे पास आया है
हर सांस हर धड़कन में,
एक एहसास बनकर समाया है
रोशनी कहूँ उसे
या खवहीसों का टुकड़ा
आसमान में बिखरी धूप की तरह
मेरे रग रग में समाया है
खुद के होने पर
यकीन है आज मुझको
नयी सुबह, नये रास्तों की तरह
ज़िंदगी का ये पल
एक एहसास बनकर
मेरे ज़हेन में समाया है
1 comment:
Awesome...I really liked this one :):)
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