लाल रंग का सावन कुछ ऐसा था
तेरे माथे की बिंदिया जैसा था
काली रात की खामोशी भी एक सहर लाई थी
तेरी आँखों का जैसे घूँघट ओढ़ आई थी
सुबह की लाली तेरे चेहरे पर ऐसी दम्कि
तेरे आँचल से आज फिर खुशियाँ झलकी
तेरे पास होने का है ऐसा एहसास
मानो हज़ार सखियाँ हो मेरे पास
तेरी गोद में, आज फिर सर रख कर सो गयी
चुपके से आज माँ में फिर बड़ी हो गयी
तेरे माथे की बिंदिया जैसा था
काली रात की खामोशी भी एक सहर लाई थी
तेरी आँखों का जैसे घूँघट ओढ़ आई थी
सुबह की लाली तेरे चेहरे पर ऐसी दम्कि
तेरे आँचल से आज फिर खुशियाँ झलकी
तेरे पास होने का है ऐसा एहसास
मानो हज़ार सखियाँ हो मेरे पास
तेरी गोद में, आज फिर सर रख कर सो गयी
चुपके से आज माँ में फिर बड़ी हो गयी
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