Wednesday, November 27, 2013

Aarna

लाल रंग का सावन कुछ ऐसा था

तेरे माथे की बिंदिया जैसा था

काली रात की खामोशी भी एक सहर लाई थी

तेरी आँखों का जैसे घूँघट ओढ़ आई थी

सुबह की लाली तेरे चेहरे पर ऐसी दम्कि

तेरे आँचल से आज फिर खुशियाँ झलकी

तेरे पास होने का है ऐसा एहसास

मानो हज़ार सखियाँ हो मेरे पास

तेरी गोद में, आज फिर सर रख कर सो गयी

चुपके से आज माँ में फिर बड़ी हो गयी

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