Elements!
Memories and poetries . . .
Tuesday, November 26, 2013
Untitled
फरियाद थी जिनकी ज़हन में
आँखें मूँद कर उन्हे हारे हें
जीने का मक़सद यूँ ही नही बदलता यारों
हम महज़ एक छोटी सी हक़ीक़त के मारे हें
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